Piaget’s Theory Of Cognitive Development | पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत | Piaget’s Theory Of Cognitive Development: पियाजे प्रथम मनोवैज्ञानिक थे जिन्होने व्यक्ति को जन्म से क्रियाशील तथा सूचना प्रमाणित प्राणी स्वीकार किया उनके अनुसार व्यक्ति एकत्रित बौद्धिक सूचनाओं का वर्गीकरण करता रहता है जिससे वह बाह्य जगत की परिस्थितियों के अनुरूप सहज व स्वाभाविक ढंग से उचित व्यवहार कर सकें।

Piaget's Theory Of Cognitive Development
Piaget’s Theory Of Cognitive Development

 

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पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक विकास के कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु –

  • यह प्रयोग 0 से 15 वर्ष के बच्चों पर किया गया ।
  • संज्ञानात्मक अर्थात किसी चीज को संज्ञान में लाना ।
  • जीन पियाजे स्विट्जरलैंड के मनोवैज्ञानिक थे ।
  • जीन पियाजे का जन्म 9 अगस्त 1896 को हुआ था ।
  • इनकी मृत्यु 16 सितंबर 1980 को 84 वर्ष की उम्र में हुई ।

 पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत | Principle of Piaget’s Theory Of Cognitive Development:

पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक कार्यविधि की दो मुख्य विशेषताएं संगठन और अनुकूलन है संगठन को अंग्रेजी में Organization कहते हैं तथा अनुकूलन को Adaptation कहते हैं संगठन से तात्पर्य प्रत्यक्षीकृत तथा बौद्धिक सूचनाओं को सार्थक पैटर्न जिन्हें बौद्धिक संरचनाएं कहते हैं में व्यवस्थित करने से है।

प्रत्येक व्यक्ति अपनी स्वयं की बौद्धिक संरचनाओं का निर्माण करता है जो वातावरण के साथ समायोजन करने में उसकी ज्ञान तथा कार्यों को संगठित करती है व्यक्ति मिलने वाली नवीन सूचनाओं को पूर्व निर्मित बौद्धिक संरचनाओं में संगठित करने का प्रयास करता है परंतु कभी-कभी वह इस कार्य में सफल नहीं हो पाता है तब वह अनुकूलन करता है।

उपयुक्त सभी चीजों को हम और आसान भाषा में बिंदुवार तरीकों से समझेंगे –

पियाजे के अनुसार संज्ञानात्मक (Piaget’s Theory Of Cognitive Development) कार्यविधि की दो मुख्य विशेषताएं हैं –

(1) संगठन (Organization):

संगठन से तात्पर्य प्रत्यक्षीकृत तथा बौद्धिक सूचनाओं को सार्थक पैटर्न जिन्हें बौद्धिक संरचनाएं कहते हैं मैं व्यवस्थित करने से है प्रत्येक व्यक्ति अपनी स्वयं बौद्धिक संरचनाओं का निर्माण करता है जो वातावरण के साथ समायोजन करने में उसकी ज्ञान तथा कार्यों को संगठित करती है ।

(2)अनुकूलन (Adaptation):

अनुकूलन वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने पूर्व ज्ञान व नवीन ज्ञान / अनुभव के मध्य संतुलन स्थापित करता है। अनुकूलन के अंतर्गत जीन पियाजे ने दो प्रक्रियाएं को बताया –

  • (A) आत्मसातीकरण (Assimilation)
  • (B) समायोजन या समाविष्टकरण (Accomodation)

(A) आत्मसातीकरण (Assimilation)-

नए अनुभव अथवा ज्ञान को पूर्व ज्ञान के साथ जोड़ना आत्मसात करना कहलाता है

(B) समायोजन या समाविष्टकरण (Accomodation)-

समायोजन नवीन ज्ञान अथवा अनुभवों को पूर्व ज्ञान में जोड़ते हुए उसमें सुधार विस्तार या परिवर्तन से है

जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास चार अवस्थाएं | 4 Stage of Piaget’s Theory Of Cognitive Development:

जीन पियाजे के संज्ञानात्मक विकास अथवा बौद्धिक विकास की चार अवस्थाएं बताई है –

4 Stage of Piaget’s Theory Of Cognitive Development
क्रम अवस्था का नाम वर्ष
1 संवेदनात्मक गामक अवस्था अथवा संवेदी पेशीय अवस्था (Sensori Motor Stage) 0-2 वर्ष
2 पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre-Operational Stage) 2-7 वर्ष
3 मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage) 7-12 वर्ष
4 अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था अथवा औपचारिक अवस्था (Formal Operational Satge) 12-15 वर्ष

(1)संवेदनात्मक गामक अवस्था अथवा इंद्रिय जनित अवस्था (Sensori Motor Stage) [0 – 2 वर्ष]

  • इस अवस्था में बालक देखने पकड़ने चूसने पहुंचने आदि की स्वतः सहज क्रियाओं से व्यवस्थित प्रयासरत क्रियाओं की ओर अग्रसर होता है।
  • ज्ञानेंद्रियों (आंख नाक कान जिह्वा त्वचा) का प्रयोग करना सीख जाता है।
  • छोटे-छोटे शब्दों को बोलने लगता है।
  • कर्मेंद्रियों का भी प्रयोग करना सीख जाता है।

(2) पूर्व संक्रियात्मक अवस्था (Pre-Operational Stage) [2 – 7 वर्ष]

  • इस अवस्था में संकेतात्मक कार्यों का प्रादुर्भाव तथा भाषा का प्रयोग प्रारंभ होता है।
  • अहम केंद्रीय ता का भाव जागृत हो जाता है।
  • इसी अवस्था को खिलौनों की आयु कहा जाता है।
  • इस अवस्था में प्रतीकात्मक सोच पाई जाती है।
  • अनुकरणशीलता पाई जाती है अर्थात किसी का कार्य को देखकर दोहराने की प्रवृत्ति पाई जाती है।
  • इस अवस्था को खोज की अवस्था भी कहा गया है।
  • इस अवस्था को दो भागों में विभाजित किया गया है –
  • पूर्व-प्रत्यात्मक काल (Pre-conceptual stage)
  • अंतः प्रज्ञा अवस्था (Intutive Stage)

(3)मूर्त संक्रियात्मक अवस्था (Concrete Operational Stage) [7 – 12 वर्ष]

  • बालक छोटी-छोटी विलोमीय (Reversible) पदों की श्रृंखला के द्वारा विचार करने लगता है।
  • मूर्त वस्तुओं के संबंध में अनेक प्रकार तार्किक (Logical) संक्रियाएं करने लगता है।
  • इस अवस्था में वह वस्तुओं को माप सकते हैं और तौल सकते हैं।
  • इस अवस्था में वह मूर्त सूचनाओं की तुलना कर सकता है।
  • इस अवस्था में उत्क्रमणीयशीलता पाई जाती है इसलिए इसे पलावटी अवस्था के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस अवस्था में समस्या समाधान की क्षमता का विकास हो जाता है।
  • बालक दिन तारीख महीना बताने लगता है।

(4)अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था अथवा औपचारिक सक्रिय अवस्था (Formal Operational Satge) [12 – 15 वर्ष]

  • इस अवस्था के दौरान बालक अमूर्त बातों के संबंध में तार्किक चिंतन करने की योग्यता विकसित करता है।
  • इसे तार्किक चिंतन की अवस्था भी कहा जाता है।
  • समस्या समाधान व्यवहार अधिक व्यवस्थित हो जाता है।
  • परिकल्पना चिंतन पाया जाता है।
  • इस अवस्था में बालक तार्किक चिंतन करने लगता है।

Remider- इन बिंदुओं को अवश्य याद रखें –

  1. जीन पियाजे ने बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया।
  2. शिक्षक को बालकों की समस्या का निदान करना चाहिए।
  3. शिक्षक को बालकों के अधिगम के लिए उचित वातावरण तैयार करना चाहिए।
  4. स्कीमा वातावरण द्वारा अर्जित संपूर्ण ज्ञान का संगठन स्कीमा है।
  5. पियाजे के सिद्धांत को विकास अवस्था सिद्धांत के नाम से भी जाना जाता है।
  6. संज्ञानात्मक विकास की चार अवस्थाएं होती हैं।
  7. पियाजे का सिद्धांत खोज पद्धति पर बल देता है।
  8. पियाजे का संज्ञानात्म्क विकास सिद्धांत ‘मानव बुद्धि की प्रकृति एवं उसके विकास से संबंधित है।’
  9. यह सिद्धांत बतलाता है की ज्ञान की कैसे प्राप्ति होती है एवं उसका उपयोग कैसे होता है।

पियाजे के संज्ञानात्मक विकास से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न एवं उत्तर निम्न प्रकार से हैं –

  • प्रश्न: स्कीमा क्या है?
  • उत्तर: वातावरण द्वारा अर्जित संपूर्ण ज्ञान का संगठन(Organization of total knowledge) ही स्कीमा है।
  • प्रश्न: पीयाजे ने किस शिक्षा पर बल दिया?
  • उत्तर: पीयाजे ने बाल केंद्रित शिक्षा पर बल दिया।
  • प्रश्न: तार्किक चिंतन का विकास किस अवस्था में होता है?
  • उत्तर: औपचारिक या अमूर्त संक्रियात्मक अवस्था (12-15 Yr)
  • प्रश्न: पियाजे के संज्ञानात्मक विकास की प्रक्रिया में मुख्यतः किन दो बातों को महत्वपूर्ण माना जाता है?
  • उत्तर: संगठन व अनुकूलन
  • प्रश्न: समस्या समाधान की क्षमता का विकास किस अवस्था में होता है?
  • उत्तर: अमूर्त या औपचारिक संक्रियात्मक अवस्था
  • प्रश्न: पियाजे का सिद्धांत किस पद्धति पर सीखने पर बल देता है?
  • उत्तर: खोज पद्धति से
  • प्रश्न: Piaget’s Theory Of Cognitive Development को हिन्दी नाम बताएँ । 
  • उत्तर: पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धांत

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